लेखनी कविता -पशेमानी - कैफ़ी आज़मी

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पशेमानी / कैफ़ी आज़मी मैं ये सोच कर उस के दर से उठा था कि वो रोक लेगी मना लेगी मुझको कदम ऐसे अंदाज से उठ रहे थे कि वो आवाज़ ...

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